बस्ती में जो फैला है

01-09-2023

बस्ती में जो फैला है

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 236, सितम्बर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

बस्ती में जो फैला है, 
विराने में जनाब मिला। 
 
नींद से कोई ताल्लुक़ नहीं, 
चलता फिरता ख़्वाब मिला। 
 
उस्ताद की कोई इज़्ज़त है, 
शोहदों को आदाब मिला। 
 
बेटी की ख़ुश ऑंखों को देख, 
पल में सवाब मिला। 
 
वो देखो अब तक ज़िन्दा है, 
अपनों से कितना अज़ाब मिला। 
 
अधरों पे मुस्कान रही, 
ऑंखों में चेनाब मिला। 

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