बस्ती में जो फैला है
हेमन्त कुमार शर्मा
बस्ती में जो फैला है,
विराने में जनाब मिला।
नींद से कोई ताल्लुक़ नहीं,
चलता फिरता ख़्वाब मिला।
उस्ताद की कोई इज़्ज़त है,
शोहदों को आदाब मिला।
बेटी की ख़ुश ऑंखों को देख,
पल में सवाब मिला।
वो देखो अब तक ज़िन्दा है,
अपनों से कितना अज़ाब मिला।
अधरों पे मुस्कान रही,
ऑंखों में चेनाब मिला।
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