विज्ञानकु: कोरोना - 1

15-05-2021

विज्ञानकु: कोरोना - 1

सुभाष चन्द्र लखेड़ा (अंक: 181, मई द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

रहे बेसुध
कोरोना को फैलाया
हमने ख़ुद।
  
लापरवाही
हमने ही अपनी
नाव डुबायी।
  
खोली थैलियाँ
होती रही रैलियाँ
की ग़लतियाँ।
  
ख़ुद की वाह
करते रहे हम
बेपरवाह।
 
वक़्त न खोएँ
कोरोना को मिटायें
अब न सोयें।

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