राजीव कुमार – 041

01-11-2024

राजीव कुमार – 041

राजीव कुमार (अंक: 264, नवम्बर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

1.
रंग ना रस
बग़ैर उसके तो
सब नीरस। 
 
2.
ख़बर लायी
आँख है भर आयी
गाँव से चिट्ठी। 
 
3. 
हवा हिलोरे
बेड़ा लगाओ पार
नइया डोले। 
 
4.
आँखों का पानी
जाने कई कहानी
दिल में दबी। 
 
5.
बिकने लगी
ईमान भी अब तो
दुकान सजी। 
 
6.
मन अंगारा 
छुपाता न कहता
है दहकता। 
 
7.
आग का गोला
आकाश पे है टँगा 
प्रकाश फैला। 
 
8.
शांत सा बहा
कौतूहल पूर्वक
पूरा जीवन। 
 
9.
बुझाए ना बुझे
सावन की अगन
सुन सजन।
  
10.
नभ पे देख 
हर्ष आयी धरती
बादल काले। 
 
11.
आकाश मार्ग। 
वायुयान पथिक। 
उड़े निर्भीक। 

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