राजीव कुमार – 014

01-12-2022

राजीव कुमार – 014

राजीव कुमार (अंक: 218, दिसंबर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

1.
पद ग्रहण 
समर्पण, लाभक 
धन अर्जन। 
 
2.
पर्दा था उठा 
पर्दा था कमज़ोर 
बरी है चोर। 
 
3.
सोच तूफ़ानी 
आपकी परेशानी 
मंंज़िल तय। 
 
4.
गिरहकट 
जमा पूँजी आपकी 
जाने बाप की। 
 
5.
रंग रोगन 
तन पे है फैला 
मन है मैला। 

6.
विद्रोही स्वर 
बनेगा जो मापदंड 
हिले भूखंड। 
 
7.
मन पतंगा 
हारा जीवन जंग 
कटी पतंग। 
 
8.
पेड़ों के पेड़ 
मानव आक्रमण 
हो जाते ढेर। 
 
9.
गाँव का पैदा 
महानगर खाया 
जीवन सौदा। 
 
10.
काल का ग्रास 
सब इसके दास 
जैसा भी वास। 
 
11.
चोहद्दी सारी 
हिफ़ाज़त से दूर 
घर का भेदी। 

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