राजीव कुमार – 029

01-02-2024

राजीव कुमार – 029

राजीव कुमार (अंक: 246, फरवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

1.
जाम पे जाम
ख़ाली होने के बाद
रहा न याद। 
 
2.
प्यारी नज़र
देखा जिसने, दिल
उसी का घर। 
 
3.
मेघ पर्वत
लड़े तो पाए क़रार
धरा बहार
 
4.
तोड़ा है वादा
हुआ होगा फ़ायदा
ख़ुशी हासिल। 
 
5.
हाथ से छूटी
मानवता की डोर
बेशर्म शोर। 
 
6.
भीगी पलकें
अब जो न छलके
दर्द नासूर। 
 
7.
घबराहट
दिमाग़ी पैदाइश
दिली दबिश। 
 
8.
आपकी गाथा
समावेश है व्यथा
लोगों को भाया। 
 
9.
घना कोहरा
निगल गया रास्ता
पचा न पाया। 
 
10.
गंगा का घाट
जीवन भर ठाट
अंतिम बाट। 
 
11.
शोर मचा दे
ख़ामोशी भी आपकी
ज़िद जो करो। 
 
12.
बादल लड़े
मज़ा चाहे धरती
दिखाए आरती। 
 
13.
ख़ुद खटका
मुसाफ़िर भटका
रास्ता तो साफ़। 
 
14.
बहुत दूर
ख़ुशहाली तरक़्क़ी
बयानबाज़ी। 
 
15.
डगमगाता
मंज़िल पे हौसला
पकड़ ढीली। 
 
16.
दरिया हुआ
न समंदर हुआ
ख़ाक ये दिल। 
 
17.
घर संसार
खुशियों का संचार
गृहस्थ सुख। 
 
18.
मन की गंगा
मझधार अनंत
डूबे तो संत। 
 
19.
लगा था ताला
गड़बड़ घोटाला
डाका है डाला। 
 
2०.
बड़ी ठोकर
तोड़ देती ग़ुरूर
नशा भी चूर। 
 
21.
पड़ी है गाँठ
हुई है कमज़ोर
रिश्ते की डोर। 
 
22.
हासिल जिन्हें
मुक़ाम मनचाह
झेलते डाह। 

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