राजीव कुमार – 031

01-04-2024

राजीव कुमार – 031

राजीव कुमार (अंक: 250, अप्रैल प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

1.
रंग सामान
भर तानी कमान
जान में जान। 
 
2.
होली में रंग
परोसा और भाँग
लायी उमंग। 
 
3.
गाल है लाल
गुलाल का कमाल
मन उमंग। 
 
4.
ना कर ख़्याल
पुराना था बवाल
रंग दे डाल। 
 
5.
मन भँवरा
कहाँ-कहाँ न दौड़ा
मिला न मीत। 
 
6.
चैत की हवा 
तुम ही से प्रदूषित
अब तो चेत। 
 
7.
मौक़ा बे मौक़ा
दर्द की झड़ी लगाए
यादों का झोंका। 
 
8.
होगा विशेष
मन को ना मार
समर शेष। 
 
9.
आया बसंत
मन है मुरझाया
पति हैं संत। 
 
10.
मन का घेरा
मज़बूती प्रदान
कोई भी फेरा। 
 
11.
मन पतंग
न बिन ठौर, बँधी
प्रीत की डोर। 
 
12.
साथ न देता
पाँव है खींच लेता
जलनख़ोर। 

13.
चले न ज़ोर
अफ़वाह बेबस
लीक जो खींचो 
 
14.
जीत आपकी
सबसे मुलाक़ातें
वोट जो काटे

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कहानी
कविता-ताँका
कविता - हाइकु
लघुकथा
सांस्कृतिक कथा
कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में