राजीव कुमार – 013
राजीव कुमार1.
भाग्य आधार
पहचान ले वर्ना
संघर्ष कर।
2.
देख बौरायी
उफनती नदियाँ
बाढ़ है आयी।
3.
वन का राजा
पींजड़े में समझा
जंगल राज।
4.
हवा का रुख़
भभका है दीपक
पर न बुझा।
5.
कैसा पड़ाव
जीवन का ये मोड़
सब गए छोड़।
6.
ख़ाना-बदोश
पूरा शहर हुआ
किसका दोष।
7.
गर्म ही रहा
अफ़वाहों का बाज़ार
मुद्दा निगार।
8.
रीत जगत
ग़ैर सुख संचय
चिन्ता विषय।
9.
दुखती नस
ग़ुलाम है आदमी
ख़ूब है कमी।
10.
घटता नहीं
जल जलाशय का
दरिया दिल।
11.
छुपे रहते
जिनके मनसूबे
दिल वहीं डूबे।
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