राजीव कुमार – 010
राजीव कुमार1.
बड़ी गहरी
यादों की गहराई
डुबे तो तरे।
2.
साँसों का ताज
हमेशा रहे ताज़ा
मेरे ख़्वाजा।
3.
उड़ता चला
बिन पंख बादल
पेट में जल।
4.
मौक़ा मिलेगा
सोचा बैठा ही बैठा
कोशिश न की।
5.
मेघों ने पीया
जल वो लौटा दिया
धरती का था।
6.
राज़ गहरा
समंदर ठहरा
दिल किसी का।
7.
इन्सां न हुआ
काफ़िर ही रहा
बंदगी रूठी।
8.
आशा ही मूल
जीवन का समूल
निराशा धूल।
9.
प्रदूषण पा
बदनाम है हवा
दमघोंटू है।
10.
डाली से टूटे
पतझड़ में पत्ते
जले चूल्हे में।
11.
आँखों में पानी
प्रदूषण बिसात
नाक पे हाथ।
राजीव कुमार
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