राजीव कुमार – 018

01-03-2023

राजीव कुमार – 018

राजीव कुमार (अंक: 224, मार्च प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

1.
मन को फाँसे
मन का बुना जाला
मन ने पाला। 
 
2.
अफ़वाहों में
मुद्दा गहरा गया
सत्ता पलटी। 
 
3. 
झूठ आज़ाद
कठघरे में सच
व्यर्थ विवाद। 
 
4. 
फूलों के देश
भौंरा है मँडराता
कैसा है नाता। 
 
5.
मेघों के झुंड
आपस में हैं भिड़े
सारे हैं झड़े। 
 
6.
गाड़ी बँगला
झुमका न कंगना
आओ सजना। 
 
7.
आकाश लाल
छिड़के है गुलाल
सुबह शाम। 
 
8.
प्रेम अंगारा
सुलगे तो जीवन
बुझे जीवन। 
 
9.
है प्रदूषण
आँख नाक घायल
धूल के कण। 
 
10.
नभ ने सहे
धरा अतिक्रमण
धरा पे बहे। 
 
11.
ज़िद न छोड़ो
मंज़िल से पहले
इतना दौड़ो। 

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