राजीव कुमार – 011

01-10-2022

राजीव कुमार – 011

राजीव कुमार (अंक: 214, अक्टूबर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

1.
बहती नदी 
जीवन सम्भावना 
जहाँ भी गई। 
 
2.
पहले जागी 
पुत्र चिंतातुर माँ 
बाद में सोयी। 
 
3. 
रहता नहीं 
जीवन में अँधेरा 
जीवन सारा। 
 
4.
अंज़ाम न दे 
ज़िन्दगी भर अर्श 
आग़ाज़ तय। 
 
5.
कहाँ ठहरा 
सदा कोहरा, सूर्य 
जब क्रोधित। 
 
6.
जीवन जीना 
हँसना और रोना 
खोना व पाना। 
 
7.
किसको बोनी 
होनी या अनहोनी 
उग ही लीनी। 

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