राजीव कुमार – 037
राजीव कुमार
1.
पथिक प्यासा
सूखे हैं जलाशय
क्या करे तय।
2.
हवा अदृश्य
पत्तों के हिलने से
हुई सदृश्य।
3.
बंद पलकें
क़ीमत छुपा लेती
आँसू के मोती।
4
रंग भरता
जीवन सँवारता
संघर्षकर्ता।
5.
मन सागर
गहराई तन्हाई
ख़ुद ही प्यासा।
6.
बड़ा आघात
जो मन की बात न
पा घाट घाट।
7.
भारी पलड़ा
समय का पड़ा तो
रोना दुखड़ा।
8.
प्रेम पथिक
प्रेम का परीक्षण
पढ़े नयन।
9.
दरो दीवार
करा रहे एहसास
कोई न पास।
10.
विनाश होते
प्रकृति के विनाशी
जीवन खोते।
11.
नसीब खोटा
हौसला बुलंदी से
वापस लौटा।
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