राजीव कुमार – 037

01-08-2024

राजीव कुमार – 037

राजीव कुमार (अंक: 258, अगस्त प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

1.
पथिक प्यासा 
सूखे हैं जलाशय 
क्या करे तय। 
 
2.
हवा अदृश्य 
पत्तों के हिलने से 
हुई सदृश्य। 
 
3.
बंद पलकें 
क़ीमत छुपा लेती 
आँसू के मोती। 
 
4
रंग भरता 
जीवन सँवारता 
संघर्षकर्ता। 
 
5.
मन सागर 
गहराई तन्हाई 
ख़ुद ही प्यासा। 
 
6.
बड़ा आघात 
जो मन की बात न 
पा घाट घाट। 
 
7.
भारी पलड़ा 
समय का पड़ा तो 
रोना दुखड़ा। 
 
8.
प्रेम पथिक 
प्रेम का परीक्षण 
पढ़े नयन। 
 
9.
दरो दीवार 
करा रहे एहसास 
कोई न पास। 
 
10.
विनाश होते 
प्रकृति के विनाशी 
जीवन खोते। 
 
11.
नसीब खोटा 
हौसला बुलंदी से 
वापस लौटा। 

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