राजीव कुमार – 023
राजीव कुमार1.
जादू की छड़ी
ले उतरो ओ परी
मुन्नी रो रही।
2.
गहरी चाल
शुरूआत इसकी
बाल की खाल।
3.
भरोसेमंद
निगल गया उसे
अब घमंड।
4.
पत्ते थे छाँटे
पनपे पेड़, अब
पेड़ ही काटे
5.
देखा मंज़र
जला अपना घर
दंगा असर।
6.
मेघ हैं लड़े
धरती बजाये ताली
गाये हरियाली।
7.
टूटी ही सही
क़िस्मत की लड़ी
आने दे घड़ी।
8.
सागर तट
लहरों का ख़ात्मा
प्रसन्न आत्मा।
9.
शर्म की ओट
बेवफ़ा कर गयी
दिल पे चोट।
10.
शोर करेंगे
आपके भी हुनर
ताबीर होगी।
11.
आशा गठरी
मन ने जो बाँधी
खोले न आँधी।
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- कविता - हाइकु
-
- पुस्तक: हाइकु
- राजीव कुमार – 001
- राजीव कुमार – 002
- राजीव कुमार – 003
- राजीव कुमार – 004
- राजीव कुमार – 005
- राजीव कुमार – 006
- राजीव कुमार – 007
- राजीव कुमार – 008
- राजीव कुमार – 009
- राजीव कुमार – 010
- राजीव कुमार – 011
- राजीव कुमार – 012
- राजीव कुमार – 013
- राजीव कुमार – 014
- राजीव कुमार – 015
- राजीव कुमार – 016
- राजीव कुमार – 017
- राजीव कुमार – 018
- राजीव कुमार – 019
- राजीव कुमार – 020
- राजीव कुमार – 021
- राजीव कुमार – 022
- राजीव कुमार – 023
- राजीव कुमार – 024
- राजीव कुमार – 025
- राजीव कुमार – 026
- राजीव कुमार – 027
- राजीव कुमार – 028
- राजीव कुमार – 029
- राजीव कुमार – 030
- राजीव कुमार – 031
- राजीव कुमार – 032
- राजीव कुमार – 033
- राजीव कुमार – 034
- राजीव कुमार – 035
- राजीव कुमार – 036
- राजीव कुमार – 037
- राजीव कुमार – 038
- राजीव कुमार – 039
- राजीव कुमार – 040
- राजीव कुमार – 041
- राजीव कुमार – 042
- राजीव कुमार – होली
- कविता-ताँका
- लघुकथा
-
- अन्नदाता
- आत्मा की शांति
- आधार स्तम्भ
- आपसी भाईचारा
- ऊँचाई और गहराई
- ऑफ़िशियल विज़िट
- कम्बल
- कुत्ता
- गंदी लड़की
- गहराई और तन्हाई
- चिराग – चिरागिन
- जीवनदान
- जुनून
- देवी
- पारी
- प्रकृति और विकास
- प्रमाण पत्र
- प्रेम प्यासा
- प्रेम भँवर
- बाग़ी
- भाई का हिस्सा
- भावना
- मलवा
- मेला
- लहरें
- वर्चस्व
- वस्त्रदान समारोह
- विवाह संबंध
- संकल्प या विकल्प
- सपने और खिलौने
- समझौता
- साड़ी
- स्थान
- सांस्कृतिक कथा
- कविता
- विडियो
-
- ऑडियो
-