राजीव कुमार – 023

01-09-2023

राजीव कुमार – 023

राजीव कुमार (अंक: 236, सितम्बर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

1.
जादू की छड़ी 
ले उतरो ओ परी 
मुन्नी रो रही। 
2.
गहरी चाल 
शुरूआत इसकी 
बाल की खाल। 
3.
भरोसेमंद 
निगल गया उसे 
अब घमंड। 
4.
पत्ते थे छाँटे 
पनपे पेड़, अब 
पेड़ ही काटे 
5.
देखा मंज़र 
जला अपना घर 
दंगा असर। 
6.
मेघ हैं लड़े 
धरती बजाये ताली 
गाये हरियाली। 
7.
टूटी ही सही 
क़िस्मत की लड़ी 
आने दे घड़ी। 
8.
सागर तट 
लहरों का ख़ात्मा 
प्रसन्न आत्मा। 
9.
शर्म की ओट 
बेवफ़ा कर गयी 
दिल पे चोट। 
10.
शोर करेंगे 
आपके भी हुनर
ताबीर होगी। 
11.
आशा गठरी 
मन ने जो बाँधी 
खोले न आँधी। 

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