राजीव कुमार – 033

15-05-2024

राजीव कुमार – 033

राजीव कुमार (अंक: 253, मई द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

1.
टूटा घरौंदा
शक की बुनियाद
व्यर्थ विवाद। 
 
2.
ताला नसीब
मेहनत क़रीब
नहीं अजीब। 
 
3.
टाँग जो खींचे
मिलकर अपने
तोड़े सपने
 
4.
तुम थे मिले
क़ीमती थी सौग़ात
छूटा है साथ। 
 
5.
जब तलक
हसरतें जवान
तेरा मुकाम। 
 
6.
मोल भी दोगे
ख़ुद ही बोल दोगे
मेरी तारीफ। 
 
7.
किया है प्यार
ख़ुद को बेक़रार
तुम तैयार? 
 
8.
माना अँधेरा
जब जागो सवेरा
मंज़िल बुलाए। 
 
9.
सोचो ना कभी
चलने से पहले
नसीब लिखा। 
 
10.
रहा विजित
हुआ ना विचलित
रास्ता जो चुना। 

11.
चढ़ता पारा
दिन का तापमान
गर्मी उफान। 

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