प्रीति अग्रवाल ‘अनुजा’ – हाइकु – 002

01-10-2024

प्रीति अग्रवाल ‘अनुजा’ – हाइकु – 002

प्रीति अग्रवाल 'अनुजा' (अंक: 262, अक्टूबर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)


1. 
सब के सिर
दौलत का फ़ितूर
नशे में चूर! 
 
2. 
पूनों की रात
तुम जो नहीं पास
लगती स्याह। 
 
3. 
मन में ईर्ष्या
‘सोशल मीडिया’ में
लाईक पे लाईक! 
 
4. 
समझूँ कैसे
संग बूझ सहेली
जग पहेली। 
 
5. 
विरह बेला
तड़पूँ जल बिन
ज्यों मछरिया। 
 
6. 
पेड़ की छाया
दुर्लभ निधि अब
झुलसी काया। 
 
7. 
ऊँची हवेली
दीवार ही दीवार
सुकून कहाँ? 
 
8. 
सुगंध घोले
पंखुड़ी गुलाब की
हवा में हौले। 
 
9. 
तपती रही
निखरी कुंदन-सी
मिसाल बनी! 
 
10. 
परखो, जानो
मित्रता से पहले
यूँ पहचानो। 
 
11. 
पंछी जो गाएँ
भँवरे गुन गुन
ताल मिलाएँ।
  
12. 
प्रेम की बूटी
भर रही है घाव
नए पुराने। 
 
13. 
रे भोले मन
स्वप्न पूरे होने की
शर्त न रख! 
 
14. 
रही अकेली
तुम बिन कैसे
कहो, तो कहूँ! 
 
15. 
मन की टीस
ज़ुबाँ तक न आई
यूँ दफ़नाई! 

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