द कश्मीर फ़ाइल्स: बेबाक ख़ुलासा
प्रीति अग्रवाल 'अनुजा'नमन है 'द कश्मीर फ़ाइल्स' बनाने वाली समस्त टीम को। इतने बड़े हादसे का इतनी निर्भीकता और बेबाकी से ख़ुलासा करने के लिए फूल से कोमल दिल और फौलाद से मज़बूत इरादे चाहिएँ। नमन उन लोगों को भी जो थिएटर में इस फ़िल्म को देख कर आये, खेद कि मैं साहस न जुटा पाई, यूट्यूब पर जो देखा–सुना उसी ने होश उड़ा दिए और दिल छलनी कर दिया।
जीवन के अजीब दौर से गुज़र रही हूँ शायद। झूठे लोग, झूठी कहानियाँ, झूठी फ़िल्मों से मन पूरी तरह उकता चुका है। सच को देखने, जानने और समझने की चाह तो है, पर अक़्सर सच इतना भयानक, बर्बर और झकझोर देने वाला होता है कि असमंजस में हूँ कि क्या वाक़ई मैं सच के लिए तैयार हूँ?
जब तक मैं यह तय कर पाऊँ, सच का सामना करने की हिम्मत जुटा पाऊँ, ईश्वर से केवल यही अश्रुपूरित भिक्षा माँगती हूँ, “हे ईश्वर, अपने इस संसार को विनाश से बचा ले, मानव में मानवता लौटे, नफ़रतों की आग बुझे, कुछ ऐसा करिश्मा दिखा दे . . .!”
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