परिभाषा

प्रीति अग्रवाल 'अनुजा' (अंक: 228, मई प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

जी चाहता है
परिभाषित करूँ
आज प्रेम को
मीरा का बालहठ
प्रेम अद्भुत
भक्त-भगवान का
प्रेम राधा-सा
आलौकिक, शाश्वत
आत्मा मिलन
या विरह-वेदना
यशोधरा की
कर्तव्यपरायण
रही सदा ही
विस्तृत गगन-सा
अथाह प्रेम
निश्चित, न सीमित
बन्धन मुक्त
व्याख्या है असम्भव
नतमस्तक
प्रेम पे बलिहारी
प्रेम जीता, मैं हारी! 

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