वक़्त

प्रीति अग्रवाल 'अनुजा' (अंक: 244, जनवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)


(चोका)
 
ऐसी क्या जल्दी
दो पल तो ठहर
उतरने दे
मख़मली पलों को
मन्द गति से
बेकल हृदय की
तलहटी में
आत्मसात हो जाए
मरुस्थल में
अविराम बहती
प्रेम की गंगा
वक़्त की बागडोर
फिसली जाए
हाथ जोड़ूँ, मनाऊँ
हम बेचारे
चंद पल हमारे
बस तेरे सहारे! 

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