प्रीति अग्रवाल ’अनुजा’ – 007
प्रीति अग्रवाल 'अनुजा'1.
माँगने से यहाँ
कभी कुछ न मिला . . .
हमने माँगकर
माफ़ी तक
देख ली . . . !
2.
भूलने की कोशिश,
करूँगी तमाम . . .
माफ़ करना
मगर,
मेरे बस में नहीं . . . !
3.
ज़िन्दगी की गाड़ी
चले भी तो कैसे . . .
एक पहिया
अड़ा है . . .
वहीं पर खड़ा है!
4.
तुम्हें,
माफ़ करने की
कोशिश तो की थी . . .
मगर क्या करूँ
ज़ख़्म
अब भी हरा है . . . !
5.
क़सम है तुम्हें
यूँ न देख करो . . .
धड़कनें जो थमीं,
मर जाएँ,
न हम . . . !
6.
उठो और बढ़ो,
यूँ ,
न रेंगते रहो . . .
वक़्त की
रेत पर,
छोड़ने
हैं निशां . . . !
7.
बात छोटी नहीं
बात थी वो बड़ी . . .
वो,
जो तू ने कही . . .
जो,
मैं सह न सकी . . . !
8.
भूल जाने की आदत,
नियामत ही है . . .
याद रहता जो सब,
जी न पाता कोई . . . !
9.
शिकवे गिले
थक चुके हैं बहुत . . .
अब चलो,
ख़ाक डालें . . .
चलो,
सब भुला दें!
10.
इक बात पे तेरी
जो मरते,
तो कहते . . .
दीवानगी की बस्ती
बसे जा रही है . . . !
11.
आधे आधे का वादा
है हमने किया . . .
जो मैं थक गई
तू न रुकना पिया . . . !
12.
चले जो साथ हम
रास्ते, संग हुए . . .
उन्हें भी भा गए
गीत, अपनी प्रीत के!
13.
सौ रब की तुझे
जो किसी से कहा . . .
वो जो, मैं
कह न पाई . . .
वो जो, तूने
सुन लिया . . . !
14.
जीवन में,
सुख दुख,
कुछ भी नहीं . . .
जो मानो . . . तो दुख है,
जो मानो ..तो सुख . . . !