ओस

महेश कुमार केशरी  (अंक: 270, फरवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

ओस प्रेमिका की तरह
होती है . . .
पुचकारती है
और फ़सलों में भरती है
मोती!

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