ईश्वर की प्रार्थना में अगरबत्तियाँ

15-12-2024

ईश्वर की प्रार्थना में अगरबत्तियाँ

महेश कुमार केशरी  (अंक: 267, दिसंबर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

जब से दुनिया बनी तब से पूजे गये 
ईश्वर, 
इनकी सेवा में जलती रहीं 
अगरबत्तियाँ, 
ईश्वर निर्विकार भाव से आज भी 
मुस्कुरा रहे थे, 
अगरबत्तियों के हाल पे . . .
लेकिन, नहीं बदल पाये सालों से 
अगरबत्तियों का भाग्य 
वे आज भी जल रहीं हैं 
उसी तरह! 
और, लोग 
सोच रहें हैं ईश्वर एक सर्वशक्तिमान 
सत्ता है
जो नहीं बदल पाये अगरबत्तियों के 
हाल! 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
कहानी
लघुकथा
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में