इसी देश में कहीं
महेश कुमार केशरी
कल रात तीन
जवान शहीद हो गये
बस्तर, या दंतेवाड़ा में
शहीद होने वाले वाले जवान
का नाम नहीं था ।
जवान मुझे वस्तु की तरह
लगते हैं . . .
जैसे काॅपी, पेंसिल, पेड़, पहाड़
नदी और चिड़िया की तरह . . .
या कोई नंबर जैसे बारह नंबर
की बस . . .
सोलह नंबर की जर्सी . . .
मरने वाले जवान का नाम
नहीं होता है . . .
‘जवान’ बस इसी नाम से जाने जाते हैं . . .
जन-प्रतिनिधियों के लिये
‘जवान’
सेम, आलू, बैंगन की तरह होते हैं—
लिहाज़ा वो, भी . . .
उनको संज्ञा ही मानते हैं . . .
इस तरह कभी कश्मीर
तो कभी छत्तीसगढ़ . . .
में शहीद होते रहे हैं जवान . . .
ये जवान जो थे
वो कौन थे . . .?
उसमें संत राम किसान
का एक लड़का था . . .
गाँव घर में जब सूखा पड़ा
और घर में खाने की तँगी
आ गई तो किसान ने अपने बेटे
को सीमा पर लड़ने के लिये भेज
दिया . . . अरे . . . कम से कम वो लड़का
भूखों तो नहीं मरेगा . . .
इसी तरह जो दूसरा जवान था
वो हलवाई बैजू राम का बेटा था . . .
हलवाई बहुत ग़रीब आदमी था . . .
पेट काट-काट कर वो बेटे को पढ़ाता रहा था,
लेकिन, आज उसका बेटा भी मारा गया था।
तीसरा जवान एक मज़दूर का लड़का था
मज़दूर दिन भर रिक्शा खींचता था।
और बेटे को किसी तरह पढ़ा लिखा पाया था।
आज जब तीनों बाप अंत्येष्टी के बाद
एक जगह जुटे . . .
तो तीनों ठगे ठगे से थे . . .
जन-प्रतिनिधियों ने आकर घड़ियाली
आँसू बहा दिये थे . . .
फिर . . . शहीदों के नाम से स्मारक बनवाने
की घोषणा हुई थी ।
देश नम आँखों से शहीदों को
विदाई दे रहा था ।
उसी राज्य में कहीं विधायकों को होटल में बंद
किया जा रहा था ।
विपक्ष विधायकों के दाम लगा रहा था ।
किसी थाने की ख़बर थी
कि एक थाने के सब इंस्पेक्टर
ने थाने में चार साल की बच्ची से
बलात्कार किया था!
और
फिर, देश के किसी हिस्से में
चुनाव होना था . . .
और जवान फिर ड्यूटी पर
जाने को तैयार हो रहे थे!
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