हताश, निराश और उदास होकर पवन जब घर पहुँचा तो देखकर आश्चर्यचकित हो गया। दंग रह गया ये देखकर कि उसके बिस्तर पर भगवान शंकर साधना में लीन बैठे हैं। उनके गले का साँप निकलकर कुर्सी पर कुंडली मारकर बैठा हुआ है। डर के कारण पवन के रोंगटे खड़े हो गए थे सोचकर कि कहीं भूत तो नहीं है। पवन डरकर पीछा हटा तो बरतन गिरने की आवाज़ से भगवान तप मुद्रा से जाग गए, उनका साँप भी फन फैलाए इधर-उधर देखने लगा।

भगवान शंकर बोले "पवन, डरो मत, मैं कोई भूत नहीं हूँ। मैं तो साक्षात तुम्हारे सामने बैठा हूँ, तुम्हारी भक्ति से बहुत प्रसन्न हूँ। वरदान माँगो क्या चाहिए तुमको? पवन ने सोच-विचार में दो मिनट लगा दिये और बोला, "भगवान हमको एक करोड़ रुपया लॉटरी से या किसी अन्य माध्यम से दिलवा दीजिए। भगवान शंकर ने कहा, "एक करोड़ तो जितवा दूँगा, सोच लो इतना में तुम्हारा गुज़ारा हो जाएगा? रुपया आते ही गुंडे-लफंगे भी पीछे पड़ेंगे। तुमको शक्ति की भी आवश्यकता होगी।"

पवन ने कहा, "यह तो मैंने सोचा ही नहीं। इस शहर का सबसे बड़ा पहलवान संकटा है, उससे दो गुनी तीन गुनी शक्ति हमको दे दीजिए।"

भगवान शंकर बोले, "एक करोड़ रुपये को सँभालने के लिए, शक्ति के साथ-साथ तुरंत सही निर्णय लेने की क्षमता भी होनी चाहिए।"

पवन ख़ुश हो रहा था और बोला, "भगवान जी दूर तक सोचने की, भविष्यवक्ता की दृष्टि दे दीजिए।" भगवान शंकर पवन की तरफ़ देखकर मुस्कराए और बोले, "तुमको अति सुन्दर पत्नी की भी लालसा होगी ही?"

पवन ने शर्माते हुए कहा, "हाँ, भगवान जी बहुत सुन्दर पत्नी भी चाहिए।"

शंकर भगवान ने पूछा, "एक करोड़ के अलावा रत्न-आभूषण नहीं चाहिए?"

पवन ने कहा, "हाँ भगवान क़ीमती रत्न-आभूषण, बड़ा से बंगला, महँगी गाड़ी और एक सफल व्यवसाय जिसमें दो लाख रुपया हर महीने लाभ हो।"

"और कुछ?"

"बस भगवान जी, अब कुछ और नहीं चाहिए।"

पवन को ज़ोर का झटका तब लगा जब शंकर भगवान ने कहा, "देखो पवन, जितने भी वरदान मैंने गिनाए हैं, उनमें से कोई एक ही वरदान दे पाऊँगा।"

पवन के क़दमों के नीचे से धरती निकल गयी। पवन फिर निराश होकर बैठ गया। एक घंटा सोच-विचार करने के बाद पवन ने कहा, "हमको वरदान नहीं चाहिए। जिस इच्छा की कामना लिए मैं जलूँ-मरूँ, एड़ी-चोटी का संघर्ष करूँ, अपना दिमाग़ खपाऊँ, धैर्य न खोऊँ तो सफलता का मीठा फल अवश्य चखूँ, यही वरदान दीजिए।"

शंकर भगवान बोले "ये वरदान तो मेरे अधिकतर भक्तों को प्राप्त है, जिसने भी वरदान माँगा या नहीं माँगा, सबको मिला है, तुमको भी अवश्य मिलेगा।"

इतना सुनते ही साँप भगवान शंकर के गले में लिपट गया, गंगा-जल फिर उनके जटा की तरफ़ ऊपर उठा, डमरू बजा, चंदा ने चकमक की और भगवान अदृश्य हो गए। पवन उस रात चैन की नींद सोया और संघर्ष में जुट गया।

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