बँटखरे

राजीव कुमार

मूलराज मोदी की किराने की छोटी सी दुकान थी। परिवार का भरण-पोषण ठीक से हो जाना था। दुकान की साफ़-सफ़ाई करने के बाद, तराजू की पूजा किया करता था, साथ ही साथ बँटखरों को अगरबत्ती भी दिखाता था। वैसे तो उसके पास हर नाप-तौल के बँटखरे थे, मगर पाँच किलो वाले दो बँटखरे थे क्योंकि पंसेरी का काम ज़्यादा होता था। पाँच किलो के दोनों बँटखरों का मूलराज मोदी ने नाम भी रख दिया था। जो बँटखरा पूरे तौल का था उसका नाम नामी था और जो पाँच किलो का बँटखरा खोखला था उसका नाम कामी रखा। नामी (बँटखरा) को कभी-कभी उपयोग में लाता था और कामी ( बँटखरा) का उपयोग बहुत अधिक करता था और डंडी मार कर मुनाफ़ा कमा लेता था। नामी और कामी दोनों बँटखरों में लड़ाई-झगड़ा, इर्ष्या और जलन चलता ही रहता था।

एक दिन मूलराज मोदी दोपहर का खाना खाने घर गया तो दोनों पाँच किलो के बँटखरे आपस में लड़ने लगे। कामी ने कहा, "नामी, मैं तुमसे हैसियत में बड़ा हूँ।"

नामी ने अपने ग़ुस्से पे काबू करते हुए कहा, "हम दोनों तो पाँच किलो वाले बँटखरे है फिर तू बड़ा कैसे हो गया?"

कामी ने अपनी बात को ऊपर रखते हुए कहा, "ठीक है, हम दोनों बँटखरों का वजन पाँच किलो ही है लेकिन लाला तुमको पैर के पास रखकर सोता है और हमको अपने सिर के पास। लाला हमको अगरबत्ती दिखाता है और तुम पर पड़ी धूल भी हमेशा साफ़ नहीं करता है।"

अब तो नामी (बँटखरे) को ऐसा लगने लगा कि कामी का पेट में चाकू घुसेड़ दे। नामी ने चाकू उठाया और कुछ सोचकर हँसने लगा। नामी को ठहाका लगाता देख कामी हैरान होकर उसे देखने लगा। नामी ने कामी से कहा, "अपाहिज का पेट क्या फाड़ना? तुम्हारा पेट तो पहले ही लाला ने फाड़कर तुमको खोखला कर दिया है और तुम्हारा वजन पाँच किलो से चार किलो कर दिया है। मैं तो पूरा हूँ, पूरा पाँच किलो।"

कामी ने कहा, "मैं हर रोज़ काम करता हूँ और तू आलसी है, इसलिए हमेशा, कोने में चूहे की बिल के ऊपर पड़ा रहता है।"

नामी (बँटखरे) ने कहा, "सौ सोनार की तो एक लोहार की। तुमको तो याद ही होगा कि जब चेक करने वाला अधिकारी आया था तो तुमको लाला ने शौचालय में छुपा दिया था और जब मूंगरे की माँ ज़िद पे आ गई थी की हमको बँटखरा उलट-फुलट कर देखना है तो लाला ने चौकी के पउवे के नीचे की ईंट निकालकर तुमको घुसेड़ दिया था।"

कामी ने डींग मारी, "मैं लाला को अमीर बनाता जा रहा हूँ।"

नामी जल उठा, "लोगों का श्राप भी तो ले रहा है। लोग गालियाँ देकर, उदास होकर, बड़बड़ाते हुए जाते है। हमसे तो सारे लोग ख़ुश होकर, आशीर्वाद देते जाते हैं।"

कामी ने दलील दी, "गाली तो लाला को पड़ती है, हमको क्या?"

नामी ने कहा, "लाला को अगर पड़ती है तो तुमको नहीं पड़ती है? बहाना तो तू ही होता है।"

कामी ने बहस ख़त्म करते हुए कहा, "हाँ मेरे भाई, तुम ठीक कह रहे हो।"

दोनों पाँच किलो के बँटखरे-नामी और कामी ने फ़ैसला लिया कि "हमलोग कभी नहीं झगड़ेंगे। हमेशा एक दूसरे की इज़्ज़त करेंगे।"

अगली सुबह लाला ने जब इलेक्ट्रानिक तराजू मँगा लिया तो दोनों बँटखरों का मिलन जुदाई में बदल गया। दोनों बँटखरों को कबाड़ी के पास बेच दिया गया। तराजू को भी साथ में बेच दिया गया। सारे बँटखरे बिक गये।

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