सुकून की तलाश है

01-06-2025

सुकून की तलाश है

डॉ. सुकृति घोष (अंक: 278, जून प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

चलते हैं डगर-डगर, शाम-सहर नगर-नगर
सुकून हाय खो गया, सुकून की तलाश है
 
तप्त रवि तप्त धरा, दहक-दहक वसुंधरा
श्याम जलद खो गया, श्याम की तलाश है
 
थकन भरे तनय में, सलिल भरे नयन में
रस उछाह खो गया, उछाह की तलाश है
 
गरजा है शोर-शोर, कोलाहल ज़ोर-ज़ोर
गीत मधुर खो गया, गीत की तलाश है
 
जुगनुओं के जाल में, असत्य आन बान में
सच का बोध खो गया, बोध की तलाश है
 
गहन तमस के गाँव में, लालसा की छाँव में
मन का मीत खो गया, मीत की तलाश है
 
चलते हैं डगर-डगर, शाम-सहर नगर-नगर
सुकून हाय खो गया, सुकून की तलाश है

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