आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
डॉ. सुकृति घोष
पथिक चला है यायावर सा, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
पल दो पल का रैन बसेरा, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
शिशिर ॠतु के सूखे पल्लव, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
बासंती कुसुमों का अभिनव, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
रुचिर प्रीत की सुरमई शामें, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
मधुर मिलन रसभीगी बातें, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
भोले बच्चे नटखट बचपन, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
संगी-साथी जीवट कलरव, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
अश्रुनीर में दुख व्याकुलता, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
लौकिकता में घोर व्यस्तता, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
सुख के चंचल चपल परिंदे, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
पल में उलझे सुलझे रिश्ते, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
क्षितिज पार के मंजुल सपने, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
जीवन-पथ के सहचर अपने, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
जटिल पंथ के कंटक झंझट, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
काया माया सुख-दुख संकट, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
पथिक चला है यायावर सा, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
पल दो पल का रैन बसेरा, आज यहाँ कल यहाँ नहीं है
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