श्याम जलद तुम कब आओगे?
डॉ. सुकृति घोष
गहन तपन की कठिन डगर में, नेह नीर की गठरी थामे,
श्याम जलद तुम कब आओगे?
हिय की आकुल शुष्क धरा पर, प्रीत हरित मुस्कान सजाने,
श्याम जलद तुम कब आओगे?
कटुताओं के कंटक वन में, शीतल निर्मल अलख जगाने,
श्याम जलद तुम कब आओगे?
वसुधा के पाषाण तनय में, नव कोंपल का सृजन रचाने,
श्याम जलद तुम कब आओगे?
गगन की गुमसुम नीरवता में, इंद्रधनुष उल्लास जगाने,
श्याम जलद तुम कब आओगे?
द्वेष तप्त इस जग आँगन में, मधुर प्रेम संगीत सुनाने,
श्याम जलद तुम कब आओगे?
हर्ष रहित प्यासे तन-मन में, अमिय तुल्य रिमझिम बरसाने,
श्याम जलद तुम कब आओगे?
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