जगमग
डॉ. सुकृति घोष
अमस तमस संध्या वेला में, राम मेरे जब तुम आओगे
मंजुल अपने दर्शन से तुम, जग आलोकित कर जाओगे
सघन तिमिर की विभावरी में, राम मेरे जब तुम आओगे
पावन अपने पद कमलों से, मन उजियारा कर जाओगे
रण में अनाचार का वध कर, राम मेरे जब तुम आओगे
मर्यादा का मानक बनकर, पुरुषों में उत्तम कहलाओगे
महा समर में असुर नाश कर, राम मेरे जब तुम आओगे
मानवता की भव्य प्रभा से, जगमग धरती कर जाओगे
करुणा के रथ पर सवार हो, राम मेरे जब तुम आओगे
दिव्य प्रेम के अमिय सलिल से, वसुंधरा को तर जाओगे
पवनपुत्र के हिय में बसकर, राम मेरे जब तुम आओगे
सरल भक्ति के दुर्गम पथ को, सुगम विलक्षण कर जाओगे
लखन जानकी को संग लेकर, राम मेरे जब तुम आओगे
आनंदित इस भूमंडल को, रुचिर अलौकिक कर जाओगे
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