कुछ यादें

01-06-2025

कुछ यादें

राहुलदेव गौतम (अंक: 278, जून प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

मैंने जाना कि दो लोगों के बीच
कोई भी चीज़ हमेशा नहीं रहती
सिवाय इस बात के, 
कि हमारे बीच बहुत कुछ था। 
 
मैंने यह भी जाना कि बहुत कुछ, 
कुछ भी नहीं रह जाता
बहुत कुछ को धीरे धीरे बचाने में। 

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