बस अब बहुत हुआ!!

01-11-2023

बस अब बहुत हुआ!!

राहुलदेव गौतम (अंक: 240, नवम्बर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

अब कोई बात नहीं! 
बस अब बहुत हुआ!! 
 
अब कुछ कहना नहीं! 
बस अब बहुत हुआ!! 
 
किस किस से करें ज़िक्र तेरा! 
बस अब बहुत हुआ!! 
 
तू कहाँ ग़लत मैं कहाँ ग़लत, ये जिरह! 
बस अब बहुत हुआ!! 
 
चल कर न देख हमारे बीच के फ़ासले, रुक! 
बस अब बहुत हुआ!! 
 
सफ़र भी बदलेगें रास्ते भी बदलेगें, यह इंतज़ार! 
बस अब बहुत हुआ!! 
 
जो सच था तुम्हारा वह सच है, उसे बहाने देना! 
बस अब बहुत हुआ!! 
 
यह तुम्हारी ख़ामोशी यह मेरी आँखों की नमी! 
बस अब बहुत हुआ!! 
 
यह बीच की दीवारें, 
जो तुम तक न पहुँचीं मेरी आवाज़ें! 
बस अब बहुत हुआ!! 
 
सब रातें उजड़ी हुई मेरी नींद बिखरी हुई! 
बस अब बहुत हुआ!! 
 
कुछ अल्फ़ाज़ छूटे हुए हर बार होते फैसले! 
बस अब बहुत हुआ!! 
 
इन आँखों ने बहुत कुछ देखा है
पर यह भुलावा देना कि मैंने कुछ नहीं देखा है! 
बस अब बहुत हुआ!! 
 
तुम थे, आँखें थे, सपने थे, क्या-क्या था, 
कुछ करने का जो क़ुबूलनामा था! 
बस अब बहुत हुआ!! 

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