आयेंगे एक दिन
राहुलदेव गौतम
आयेंगे एक दिन,
सबका हिसाब देंगे!
गाँव का,
खेत खलिहान का!
बंजर ज़मीन का
उड़ती रेत ऊसर का
आम की झुकती टहनियों का!
गर्मी के दिन हाँफती हवाओं का,
नदियाँ और किनारे खड़े पेड़ों का
कुएँ के ठंडे पानी का
आयेंगे एक दिन,
सबका हिसाब देंगे!
कंकरीली पगडंडियों के घाव का
सादगी में नहाई तितलियों के रंगों का!
झूलों पर गीत गाती मधुर मुस्कानों का
सावन के उल्लास का
कहीं दूर बाँसुरी बजाते चरवाहे का!
गायों के खुर सने मटियाये सूरज का
बैलों की घंटियों का
आयेंगे एक दिन,
सबका हिसाब देंगे!
सर्दियों के दिन का
दूब की हर रात का
गाँव के छोटे से बाज़ार का
बड़े-बुज़ुर्गों के पास जलते अलाव का
कुछ ख़ामोश कुछ आवाज़ का
आयेंगे एक दिन,
सबका हिसाब देंगे!
छोटी-छोटी बातों की रंजिशों का
कुछ भूल कुछ ग़लतियों का
कुछ बीते हुए लम्हों का
फागुन की बहार का
गले लगने के सवाल का
परात में घोले हुए रंग ओ गुलाल का
आयेंगे एक दिन,
सबका हिसाब देंगे!
मुझे देख कर जो चमकीं,
माँ और बाबूजी की आँखों का
घर की दीवारों का
शोर मचाते बच्चों के अल्हड़पन का
बहुत दिनों बाद घर आने का
दौड़कर आये पूँछ हिलाते
कूँ कूँ करते न जाने क्या पूछते—
मेरे पालतू कुत्ते के इशारों का
आयेंगे एक दिन,
सबका हिसाब देंगे!
उस ख़त के जवाब का
जो भेंट चढ़ गया परम्पराओं पर,
तुम्हारे और मेरे बीच उन फ़ासलों का
कुछ ग़लतफ़हमियों का
कुछ बहते कुछ छुपे आँसुओं का
कभी सुनी न गयी—
उन दर्द की कहानियों का
एक मंज़िल का
एक मुसाफ़िर का
आयेंगे एक दिन,
सबका हिसाब देंगे!
जहाँ जगा था पहली बार
उस बिस्तर का
जो कभी न खुले उस नींद के आग़ोश का
आयेंगे एक दिन,
सबका हिसाब देंगे!!!
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