हँसो हँसो

01-01-2025

हँसो हँसो

राहुलदेव गौतम (अंक: 268, जनवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

हँसो हँसो! 
जितना हँस सकते हो हँसो! 
कल हम सब मर जायेंगे। 
और मर जायेंगे हमारे साथ
यह सूरज की पहली किरण
आसमान में तैरता अकेला चाँद
मर जायेंगे फूल पत्थर
और मरेंगे सिवान और घर
 
हँसो हँसो! 
जितना हँस सकते हो हँसो! 
कल हम सब मर जायेंगे। 
और मर जायेंगी सब आँखें
मरेंगे वो भी जिसको हमनें
बार बार महसूस किया
वो भी जिसको एक बार महसूस किया। 
मरेंगे फूल मरेंगे सब काँटे
और मर जायेंगे हमारे साथ साथ
नदियाँ, पहाड़, बादल, इन्द्रधनुष
मर जायेंगे सब आवाज़ें। 

हँसो हँसो! 
जितना हँस सकते हो हँसो! 
कल हम सब मर जायेंगे
क्योंकि यह सत्य है और यह भी कि
कल लगभग सभी सत्य मर जायेंगे। 
और मर जायेंगे सभी मोह, बंधन
मर जायेंगे कुछ शब्द जो हमारे थे
और वो भी जो दूसरों के थे। 
मर जायेंगे सब दुःख
और मर जायेंगे इनके कारण
मरेंगे वो भी जो आये हैं और वो भी
जिनका अभी अस्तित्व नहीं है। 
इसलिए हँसो हँसो! 
जितना हँस सकते हो हँसो! 
कल हम सब मर जायेंगे। 

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