अस्तित्व में

15-07-2022

अस्तित्व में

राहुलदेव गौतम (अंक: 209, जुलाई द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

विस्मृत सा ख़ालीपन मेरा, 
चुपके से तुम्हें छूकर
कोई निकला होगा, क्षण मेरा, 
वो सत्य तुम्हारा था मैं! 
 
तुम्हारी आँखों की स्वतंत्र संवेदनाओं का, 
अर्थ, अर्थ, परिवर्तित होकर
कोई प्रेम फलित होगा, क्षण मेरा, 
वो सत्य तुम्हारा था मैं! 
 
तुम्हारे आभास में, 
कुछ समय ठहर कर
तुम्हारे मन-तरंग में होगा, क्षण मेरा, 
वो सत्य तुम्हारा था मैं! 

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