बहुत देर से मिला

01-11-2023

बहुत देर से मिला

राहुलदेव गौतम (अंक: 240, नवम्बर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

जो कुछ मिला ज़िन्दगी में
बहुत देर से मिला!! 
 
वक़्त का सबक़ भी
बहुत देर से मिला!! 
 
उसके दिल से बेदख़ल मैं हुआ
यह पैग़ाम भी, 
बहुत देर से मिला!! 
 
इतने हादसों के बाद, 
इन उदास आँखों ने उनकी परछाईं देखी! 
यह ज़रा सा भ्रम भी, 
बहुत देर से मिला!! 
 
अब क्या बनेगा, क्या बिगड़ेगा ज़िन्दगी में, 
यह वक़्त तय करेगा! 
हमें यह समझने का हुनर भी, 
बहुत देर से मिला!! 
 
मंज़िल भी मिली, 
जीने का सहारा भी मिला! 
पर मेरे अक्स में जो मिला, 
बहुत देर से मिला!! 
 
अब ख़ुशियाँ वो ख़ुशियाँ नहीं, 
जो तुम्हारे साथ सोचा था! 
फिर भी जीने का जो सलीक़ा है, 
बहुत देर से मिला!! 
 
किस चीज़ से उबरूँ क्या बचाएँ, 
अब तो डूबना ही डूबना है! 
जिस किनारे की ज़रूरत थी वह, 
बहुत देर से मिला!! 
 
ये ज़िन्दगी के फ़ज़ल रहे, 
एक तरफ़ खड़े एक तरफ़ गिरते रहे! 
बस एक संघर्ष का रास्ता भी, 
बहुत देर से मिला!! 
 
अब तो जी सकते हैं, 
तुम्हारे लिए कुछ कर सकते हैं ज़िन्दगी! 
बस रंज यह है कि, 
यह जंग भी यह जायज़ भी
बहुत देर से मिला!! 

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