अनुभूति

15-03-2022

अनुभूति

राहुलदेव गौतम (अंक: 201, मार्च द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

दुनिया के रुखाई के बीच
तुमने मुझे, 
एक शक्ल देने की जो क़वायद की थी! 
सच कहूँ तो इतने अंतराल के बाद
मैंने इसे स्वीकारा नहीं, 
क्योंकि बुद्ध ने कहा था . . . 
कुछ न लेना, 
वो तत्थ उसी के पास रह जाता है
और हम अपने-अपने सच के, 
एकदम क़रीब होते हैं! 
जो शान्ति की अनुभूति है! 

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