ये सोचना भी मत मेरे क़दम थमेंगे

01-08-2023

ये सोचना भी मत मेरे क़दम थमेंगे

संजय कवि ’श्री श्री’ (अंक: 234, अगस्त प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

ये सोचना भी मत, 
मेरे क़दम थमेंगे; 
काल को ललकारते, 
ये सीमाएँ सब लाँघेंगे। 
रौंदते रणभूमि को, 
जय पर अनंत विश्वास लिए; 
सिद्ध करके शौर्य अपना, 
लक्ष्य पर ही जमेंगे। 
ये सोचना भी मत, 
मेरे क़दम थमेंगे।

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