उन ग़रीबों के लिए तुमने क्या किया? 

15-12-2024

उन ग़रीबों के लिए तुमने क्या किया? 

संजय कवि ’श्री श्री’ (अंक: 267, दिसंबर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

अब तुम्हें अपने लश्कर पे भरोसा है, 
रुला देते हो बच्चों और मज़लूमों को; 
बेअंदाज़ है तुम्हारी ताक़त की नुमाइश, 
उजाड़ देते हो बस्तियाँ, आबादियाँ। 
 
एक बात बताओ . . .
 
बे-रहम यादों के सहारे ताउम्र रह लोगे? 
या ढलती उम्र के साथ कभी सोचोगे? 
कि जिनकी उम्मीदों ने तुम्हें ख़ुदा बना दिया, 
उन ग़रीबों के लिए तुमने क्या किया? 
उन ग़रीबों के लिए तुमने क्या किया? 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
नज़्म
कविता - क्षणिका
कविता-मुक्तक
कहानी
खण्डकाव्य
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में