जय पर अनंत विश्वास रहे

15-06-2022

जय पर अनंत विश्वास रहे

संजय कवि ’श्री श्री’ (अंक: 207, जून द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

इतिहास प्रमाणित करता है, 
समर यहाँ कब सरल रहा; 
उगल चुके हैं सब अपना, 
जिसमें जितना गरल रहा। 
 
जो होता है सब अच्छा है, 
मित्र शत्रु पहचान लिए; 
रणभूमि के चक्रव्यूह में, 
सारे पथ तुमने जान लिए। 
 
हियँ धरि बजरंगी, हे अनन्य! 
जय पर अनंत विश्वास रहे; 
बूँद बूँद से बना है सागर, 
अटल सदा ये आस रहे। 

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