आशीष आपका बना रहे

01-02-2023

आशीष आपका बना रहे

संजय कवि ’श्री श्री’ (अंक: 222, फरवरी प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

पूज्य अग्रज श्री ब्रजेश जी को समर्पित। 
 

हरि सम चरणों को छूकर जब, 
आशीष लिया था कभी मैंने, 
विस्मृत ना हुई “ख़ुश रहो” की ध्वनि; 
है गूँज रही, अब तक मन में। 
मेरे अग्रज मेरे आराध्य! 
आशीष आपका अटल रहा, 
ख़ुश रहा निरंतर, होकर प्रचंड
रण में सदैव मैं सबल रहा। 
तव आयु अनंत हो हे अग्रज! 
ईश्वर की दया हो बस इतनी; 
मम शीश आपके चरण सदा, 
तव मंद हँसी हो सदा रमनी। 
ये काव्य नहीं मेरा प्रणाम है, 
तव अनुज हूँ सदा महीप रहूँ, 
आशीष आपका बना रहे, 
मम जीवन काल समीप रहूँ। 
जन्मदिवस की अनंत शुभकामनाएँ पूज्य भ‍इया! 

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