ये बारीक़ियाँ इश्क़ की सीख कर आया हूँ

15-05-2023

ये बारीक़ियाँ इश्क़ की सीख कर आया हूँ

संजय कवि ’श्री श्री’ (अंक: 229, मई द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

ये बारीक़ियाँ इश्क़ की सीख कर आया हूँ; 
ग़ौर फ़रमा, तुझमें ही हूँ, तेरा हमसाया हूँ। 
 
मुझ पर एहसान बेशक ख़ुदा का काम है; 
हमारी मुहब्बतों की अभी उम्र तमाम है। 
 
ये ख़ुदा का काम तुझे करना ही होगा; 
दुश्वारियों में थोड़ा दर्द सहना ही होगा। 
 
गर घिर गया कभी दुश्मनों से ‘संजय’; 
तो मेरी ख़ातिर तुझे लड़ना भी होगा। 
 
ये बारीक़ियाँ इश्क़ की सीख कर आया हूँ; 
ग़ौर फ़रमा, तुझमें ही हूँ, तेरा हमसाया हूँ। 

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