जलयान जल को चीरता जब चल पड़ा है

15-05-2023

जलयान जल को चीरता जब चल पड़ा है

संजय कवि ’श्री श्री’ (अंक: 229, मई द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

जलयान जल को चीरता जब चल पड़ा है, 
औचित्य अब कहाँ कि सम्मुख क्या अड़ा है। 

 
बात व्यर्थ अर्थहीन, मार्ग कठिन है सरल है, 
समभाव सब संघर्ष में सुधा हो चाहे गरल है।

  
पार कर किनारे पहुँचना लक्ष्य शेष, लक्ष्य शेष, 
विजय की आकांक्षा में, बस यही इतना विशेष।

  
जलयान जल को चीरता जब चल पड़ा है, 
औचित्य अब कहाँ कि सम्मुख क्या अड़ा है। 

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