तुम अतीत नहीं हो माँ!

15-05-2022

तुम अतीत नहीं हो माँ!

संजय कवि ’श्री श्री’ (अंक: 205, मई द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

निःसंदेह 'भविष्य' हूँ मैं, 
किन्तु तुम अतीत नहीं हो माँ! 
तुम्हारे ही प्राण से सिंचित, 
सदा गूँजेंगे स्वर मेरे; 
पुलकित होगा जग जिससे, 
तुम गीत वही हो माँ! 
निःसंदेह भविष्य हूँ मैं, 
किन्तु तुम अतीत नहीं हो माँ! 

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