जीवन सरल था

01-10-2023

जीवन सरल था

संजय कवि ’श्री श्री’ (अंक: 238, अक्टूबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

जीवन सरल था, 
तुमने उसे कठिन बनाया, 
संवेदनहीन सूचकांक अपनाया; 
तुम्हारे बनाए नियम ही प्रश्नचिन्ह बने तुम पर (?) 
कुछ बताना था कुछ छुपाना था, 
भावनाओं को पिरो पिरो कर, 
जीवन चलाना था। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
नज़्म
कविता - क्षणिका
कविता-मुक्तक
कहानी
खण्डकाव्य
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में