विजयी भवः, विजयी भवः, आगे बढ़ो अजेय हो!

01-01-2024

विजयी भवः, विजयी भवः, आगे बढ़ो अजेय हो!

संजय कवि ’श्री श्री’ (अंक: 244, जनवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

मेरे ज्येष्ठ भाँजे लेफ्टिनेंट कर्नल अमित श्रीवास्तव को समर्पित। 
 
विजयी भवः, विजयी भवः, 
आगे बढ़ो अजेय हो! 
 
चल पड़ो 
ललकार के, 
उत्क्रांति को
आकार दे; 
विजयी भवः, विजयी भवः, 
आगे बढ़ो अजेय हो! 
 
यहाँ तक लायी
सीढ़ियाँ, 
तुमसे धन्य हुईं
पीढ़ियाँ; 
विजयी भवः, विजयी भवः, 
आगे बढ़ो अजेय हो! 
 
पिता की वो उँगलियाँ
थाम तुम खड़े हुए; 
माँ तुम्हारी धन्य हुई
जिनसे तुम बड़े हुए, 
विजयी भवः, विजयी भवः, 
आगे बढ़ो अजेय हो!

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
नज़्म
कविता - क्षणिका
कविता-मुक्तक
कहानी
खण्डकाव्य
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में