कोई दूर हुआ है जैसे

01-01-2023

कोई दूर हुआ है जैसे

संजय कवि ’श्री श्री’ (अंक: 220, जनवरी प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

कुछ धुआँ सा है, 
कोई रिश्ता काफ़ूर हुआ है जैसे; 
इस तन्हाई में दिल का शोर, 
कोई दूर हुआ है जैसे। 
लिबास संजीदगी का पहनकर, 
ग़म बोल रहा था ठहर ठहर कर; 
बिन मिले बिछड़ना ही मुहब्बत है, 
तुम चला करो थोड़ा सँभल कर। 
कुछ धुआँ सा है, 
कोई रिश्ता काफ़ूर हुआ है जैसे; 
इस तन्हाई में दिल का शोर, 
कोई दूर हुआ है जैसे

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