पिता कभी मरते नहीं!

15-08-2022

पिता कभी मरते नहीं!

संजय कवि ’श्री श्री’ (अंक: 211, अगस्त द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

पिता सदा जीवित हैं, 
पिता कभी मरते नहीं! 
 
मेरे हर कर्म में, 
दायित्व में, धर्म में; 
 
गूँजते मेरे गीत में, 
वात्सल्य में, प्रीति में; 
 
मेरे स्वर की गूँज में, 
गूँज की अनुगूँज में; 
 
मुझमें, मेरे चित्र में, 
मेरे हर चरित्र में; 
 
पिता सदा जीवित हैं, 
पिता कभी मरते नहीं! 

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