पर साथ तुम्हारा रहा प्रिये

01-01-2024

पर साथ तुम्हारा रहा प्रिये

संजय कवि ’श्री श्री’ (अंक: 244, जनवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

आप दोनों को विशेषरूप से समर्पित!
जन्मदिन की शुभकामनाएँ बड़े भाईसाहब! (19 दिसंबर)
 
जग छूट गया सब रूठ गये;
पर साथ तुम्हारा रहा प्रिये।
 
क्रंदन वंदन या अभिनंदन;
सुख दुख सब तुमने सहा प्रिये।
 
वो रात घनेरी मैं उठ बैठा
“क्या हुआ” तुम्हीं ने कहा प्रिये।
 
जैसे संबल तुम हो प्रकृति का;
भाव हृदय में बहा प्रिये।
 
तुम पर ही सब कुछ हार गया;
अनुरक्त हुआ मैं महा प्रिये।
 
कुंठित खंडित सब रूप मिले;
ये प्रेम तुम्हीं से रहा प्रिये।
 
जीवन दर्शन आकर्षण तुम;
कितनी सुंदर हो अहा प्रिये।
 
जग छूट गया सब रूठ गये;
पर साथ तुम्हारा रहा प्रिये।

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