भाईसाहब ‘भाईसाहब’ तुम कहते रहो मैं सुनता रहूँ

01-01-2024

भाईसाहब ‘भाईसाहब’ तुम कहते रहो मैं सुनता रहूँ

संजय कवि ’श्री श्री’ (अंक: 244, जनवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

मेरे प्रिय अनुज माननीय विधायक ज्ञानपुर विधान सभा (उत्तर प्रदेश) विपुल दुबे जी को समर्पित
 
जीवन मृत्यु पद्धति सृष्टि की, 
लिखे हुए मिट जाते हैं; 
जिनमें साहस है संघर्षों का, 
कलजयी कहलाते हैं। 
 
रोम रोम अब पुलक उठा, 
तुम हृदय लगे मन शीत हुआ; 
गर्व मुझे तुम अनुज मेरे, 
स्मरण आज अतीत हुआ। 
 
‘भाईसाहब’ ‘भाईसाहब’
तुम कहते रहो मैं सुनता रहूँ; 
जुग जुग जियो, तुम वीर मेरे, 
इन भावों में ही बहता रहूँ। 
 
जीवन मृत्यु पद्धति सृष्टि की, 
लिखे हुए मिट जाते हैं; 
जिनमें साहस है संघर्षों का, 
कलजयी कहलाते हैं। 

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