तुम मेरा साथ हो

01-11-2025

तुम मेरा साथ हो

कृषभो (अंक: 287, नवम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

तुम मोल भाव नहीं हो, 
तुम मेरा साथ हो; 
चाहे तुम भले बूढ़े हो जाओ, 
कुरूपता या वैमनस्य लिए; 
कुछ भी प्रदर्शित करो, 
तुम्हारा खोखला ज्ञान; 
और सिद्धांतों का स्वाँग, 
चाहे तुम्हारा निर्दयी हो जाना; 
खेलना आम लोगों की भावनाओं से, 
फिर भी तुम मोल भाव नहीं हो; 
तुम मेरा साथ हो, 
तुम मेरे मित्र हो। 
तुम परवरिश की बात करते हो, 
मैं तुम्हारे साथ पलकर ही भाग्यवान हूँ; 
कुछ कुसंस्कार जो तुमने दिए थे, 
वो भी सुखद स्मृति हैं; 
उन्हें सोचता हूँ, 
और मुस्कुराता हूँ; 
फिर तुम जब प्रकट होते हो, 
बगुले बने भगत की तरह; 
तो हँस देता हूँ, 
और अंतर में ख़ुशी लिए; 
बस इतना ही समझ पाता हूँ, 
कि तुम मोल भाव नहीं हो; 
तुम मेरा साथ हो, 
तुम मेरा साथ हो। 

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