तुम अनीति से नहीं डरे थे। तुम्हे भय था, तुम्हारे दोष के खुल जाने का, तुम्हारे स्याह व्यक्तित्व पर चढ़ी धवल परत के धुल जाने का। तुम अनीति से नहीं डरे थे।