तुम अनीति से नहीं डरे थे

01-03-2021

तुम अनीति से नहीं डरे थे

संजय कवि ’श्री श्री’ (अंक: 176, मार्च प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

तुम अनीति से नहीं डरे थे।
तुम्हे भय था,
तुम्हारे दोष के
खुल जाने का,
तुम्हारे स्याह
व्यक्तित्व
पर चढ़ी धवल परत के
धुल जाने का।
तुम अनीति से नहीं डरे थे।

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