दिखते हैं बस, मिले हुए

01-04-2021

दिखते हैं बस, मिले हुए

संजय कवि ’श्री श्री’ (अंक: 178, अप्रैल प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

मायामय सदृश समीप

सूरज की लाली लिए,

हम क्षितिज हैं जैसे,

दिखते हैं बस, मिले हुए।

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